Tuesday, December 4, 2012

सरल स्वास्थ्य जीवन शैली

आज के प्रदूषण भरे वातावरण में आजीवन स्वास्थ्य की परिकल्पना करना मृग मरीचिका के समान दिखाई दे रहा है ऐसे में स्वस्थ्य व्यक्ति होना किसी देव पुरुष जैसा है| हम सभी अपने जीवन को मशीनी रूप दे चुके है हमारे शारीर की इन्द्रिया पराभूत हो चुकी है इन्द्रियों में स्वाभाविक गुणों का प्रभाव शेष मात्र ही है | मानव अमानवीय कृत्यों के वशीभूत होकर कर्म व कर्तव्य का स्वांग (व्यभिचार भ्रष्टाचार) कर रहा है | और ऐसे कृत्यों को करते हुए आजीवन स्वास्थ्य को कोरी कल्पना मानकर आहार-विहार, सदाचार (सद्वृत) को पिछड़े हुए लोगो की संस्कृति मानकर अपने मन को सांत्वना देते हुए खुद  व अपने समाज परिवार  को अत्याधुनिक जीवन जीने के लिए प्रेरित व विवश किये जा रहा है |
                      जितना महत्व आयुर्वेद ने त्रिदोषो के संतुलन व उसमे भी शरीर वायु को दिया है, वायु के असंतुलन से ८० पित्त के ४० और कफ के असंतुलन से २० विकार शरीर में उत्पन्न होते है | हमें इन विषम परिस्थितियों में भी अपने समाज परिवार को “स्वस्थ्य स्वास्थ्य रक्षणं” के सिद्धांत पर चल कर देश काल ऋतू आहार विहार संयम नियम, आधारित जीवन शैली को अपना कर अपने त्रिदोष पंचमहाभूत शरीर को संतुलित रखना होगा|
यहाँ ऋतू / माह अनुसार जीवन शैली कैसी होनी चाहिए इसको क्रमबद्ध किया गया है :

क्रम ऋतू संख्या
माह का नाम
क्या खाए
क्या न खाये 
क्या करे
क्या न करे
१.  शिशिर ऋतु
१-जनवरी
२-फरवरी
१-माघ
२-फाल्गुन
इस ऋतू में पौष्टिक आहार की मात्रा कम कर देनी चाहिए | शहद, आंवला, छिलके वाली मूंग की दाल, चावल, गेहूँ की रोटी, मक्का की रोटी, फूलवाली गोभी, आलू, हरी सब्जी, केला, गाजर, अमरुद, टमाटर, तिल, गुड, मौसमी फलों में बेर भी लाभदायक | यदाकदा छिलके वाली मूंग की दाल और चावल की खिचड़ी थोड़ा घी डालकर लेना चाहिए |
कड़वे, चरपरे, हल्के और शीतल अन्न पान का त्याग करना चाहिए |
माघ में मिश्री, मीठा, फाल्गुन में चना न खाये |
प्रात: वायु का सेवन करे |
२-३ किलोमीटर टहलें | हल्का व्यायाम करे |
समय पर भोजन करे |
प्रात: धुप हलकी ले और शाम सुबह अग्निताप भी थोड़ा ले ले| ठंडी सर्दी से बचे | हरड का चूर्ण अनुपान पिप्पली चूर्ण के साथ ले |माघ में खिचड़ी फागुन में प्रात: स्नान लाभदायक है |
कभी भूखे न रहे, देर रात तक न जागे, देर सुबह तक न सोये |

२.   बसंत ऋतु
३-मार्च
४-अप्रैल
३-चैत्र
४-बैसाख
ताज़ा हल्का भोजन ले | छिलके वाली मूंग की दाल, हरी साग सब्जी, मौसमी फल, अदरक, शहद, रूखे कटु रस वाले पदार्थ, पुराने गेहू की रोटी, दलिया, मौसमी फल, आंवला, गाजर, पत्ता गोभी, बथुआ, चौलाई, परवल, सरसों, करेला, घिया, तरोई, मसूर, सहजन, लहसून, द्राक्षासव का सेवा करे |
भारी, खट्टे, चिकने और मीठे पदार्थो का सेवन न कर |
चैत में गुड, बैसाख में तेल न खाये | चिकनाई वाले पदार्थ न ले |
नीम की १०-१५ कोमल हरी पत्ती प्रात: खाकर जल पिए | २० दिन तक अवश्य ले |  हरड का चूर्ण शहद के साथ ले |  योगासन करे  या हलकी कसरत करे |  एक दो दिन का उपवास करे |  चैत में नीम की पत्ती, बैसाख में बेल का सेवान करे |
दिन में सोये नही |  खुले आसमान तले न सोये |
३.   ग्रीष्म ऋतु
५-मई
६-जून
५-ज्येष्ठ
६-आषाढ़
ग्रीष्म ऋतु में मधुर रस वाले पदार्थो का सेवन करना चाहिए |  हल्के चिकनाई युक्त ठन्डे एवं तरल पदार्थो का सेवन अधिक करना चाहिए |  नींबू, संतरा, मुस्समी का रस, गन्ने का रस, नारियल का पानी, पतला मीठा मक्का, सत्तू घोल, दूध पानी की लस्सी, ठंडे शरबत आदि उत्तम पेय है |  देर रात तक जागना पड़े तो एक-एक घंटे में एक गिलास पानी पीते रहना चाहिए |  प्रात: उठते समय ठंडा पानी, रात को सोते समय दूध १-२ चम्मच  घी डालकर पिए |  भैंस का दूध उत्तम, छिलके वाली मूंग की दाल, चावल, चने की सूखी भाजी, हरी सब्जी भिन्डी, ककड़ी, पोदीना, धनिया, मीठा कच्छा आम, पपीता, दूध चावल की खीर |
रात में अधिक न खाये |  रात तले  पदार्थ, खट्टे नमकीन, सेब की चीजे, दही, प्याज़, बैगन नहीं खाये |  ज्येष्ठ में महुआ और आषाढ में बेल का सेवन न करे|
प्रात: भ्रमण करे |  ठन्डे जल में स्नान खूब करे |  ठंडी जगह  रहे, कच्ची हरड का चूर्ण गुड के अनुपान से सेवन करे |  ज्येष्ठ में दोपहर शयन अवश्य करे | आषाढ़ में खेलकूद करे  |
धूप में न निकले | बिना  तौलिया सिर पर रखे धूप में न निकले | बिना ठंडा पानी पिए बाहर न चले | बर्फ का सेवन न कर अथवा बहुत कम सेवन करे |
४.  वर्षा ऋतु
७-जुलाई
८-अगस्त
७-श्रावण
८-भाद्रपद
परवल, लौकी, करेला, पपीता, कद्दू की सब्जी, पके आम, पके जामुन खूब ले |  चोकर समेत गेहू, चने की रोटी, छिलकेदार मूंग-उरद की दाल ले |
खटाई की इच्छा में नीबू, अमला बिना तेल का ले |  प्रात: एक-दो पके आम लेकर दो कप दूध ले |  दोपहर खाने के बाद पके जामुन विशेष लाभदायक है |
मक्के का भुट्टा सेंधा नमक काली  मिर्च लगाकर ले |  सप्ताह में एक बार उपवास कर, उस दिन १-१ चम्मच शहद एक गिलास पानी दिन में कई बार ले|
दूध और पत्तीदार सब्जी नहीं ले |  गरिष्ठ पदार्थ न ले |  जल में घोले सत्तू न ले तथा शरबत ठंडे का प्रयोग न करे |  छोटी हरड पिसी ५ ग्राम सेंधा नमक के साथ लेने से कब्ज का बचाव रहता है, इसको लेते रहना चाहिए |
पेट पाचन और उसकी सफाई का ध्यान रखे |  रूचि का भोजन सोने से २ घंटे पूर्व करे | शरीर की सफाई का ध्यान रखे |  मच्छरों से बचाव के लिए रात नीम की खली का धुआं करे |  या मच्छरदानी का प्रयोग करे |
धूम्रपान न करे |  दिन में न सोये |  छत में न सोये |  व्यायाम और धूप ग्रहण त्याग दे |  नदी, तालाब, झील के पानी में स्नान न कर |  गीले कपडे न पहने |
५.  शरद ऋतु
९-सितम्बर
१०-अक्टूबर
९-आश्विन
१०-कार्तिक
शीतल हल्का सुपाच्य अन्न का आहार, मधुर तिक्क्ता रस वाले पदार्थ ले |
कच्चे नारियल का पानी, पिंड खजूर, अंगूर, मखाने की खीर, हरी सब्जियाँ, उबला अंडा, गाय का दूध, अनार, संतरा आदि फल गेहूँ या जौ की रोटी, दल छिलके वाली मूंग की, नया चावल, परवल, करेला, तरोई, पपीता आदि की सब्ज़ी |  आंवला मुरब्बा, गुलकंद |  मखाने या चावल की खीर रात चाँदनी में रख प्रात: ले |  नाश्ते में दूध पानी की लस्सी व मीठे फल भी लिए जा सकते है |  भोजन भूख से कम लें |  और भोजन में १-२ चम्मच घी भी मिला सकते है |
दही, तले भुने पदार्थ ओर क्षारीय वस्तुए न ले |
प्रात: दातून मंजन के बाद १०. १५ नीम की कोमल पत्ती ले |  दिन में बार बार पानी पिए |  बहते पानी में तैरे |  स्नान करे |  सुगन्धित वस्तुएँ लगाएं |  रात चाँदनी में घंटे दो घंटे बैठे |  रात को सोते समय ईसबगोल की भूसी शक्कर दूध से ले अथवा छोटी हरड का चूर्ण ५ ग्राम (लाल खांड) से प्रात: लिया करे |
धूप से तपे तपाये आकर तुरंत पानी न पिए |  सीधी धूप से बचे | दिन में और खुले आसमान तले रात में न सोये |
६.  हेमंत ऋतु
११-नवंबर
१२-दिसंबर
११-मार्गशीर्ष
(अगहन)
१२-पौष
पौष्टिक पदार्थो को ले |  दूध और दूध के सभी पदार्थ ले |  गेहूँ, ज्वार, मक्का, बाजरा, अनाज, अरहर, मूंग, उरद, सोयाबीन, मसूर, की दाले ले |  मूंगफली, काजू, बादाम, पिस्ता, नारियल गरी, बंद गोभी, मूली, गाजर, पालक, बथुआ, सरसों चने की पत्ती का साग, अमरुद और सभी मौसमी फल |
ठंडी, खट्टी चीज़े न ले |  शीतल पेय न ले |  अगहन में जीरा और पूस में धनिया का सेवन कर |
रात में हरड का चूर्ण अनुपन सोंठ से ले |  प्रात: धूप का सेवन करे |  खुले शरीर १५, २० मिनट धूप लेकर स्नान करे |   गरम कपडे पहने |  शाम को और सुबह थोड़ा अग्निताप ले |  हल्का व्यायाम करे |  अगहन में तेल खाना और पूस में घी खाना लाभदायक है |   
सर्दी से बचें |  रात में टहले नहीं |  देर रात तक न जागे |   देर सबेरे तक न सोये |  भूखे न रहे |  रात में खाली सिर निकले नहीं | कपडा डालकर निकले |