Sunday, August 10, 2014

अर्धसत्य

अर्धसत्य---घी क्खाने से मोटापा बढ़ता है
पूर्णसत्य---(षड्यंत्र प्रचार ) ताकि लोग घी खाना बंद कर दें और अधिक से अधिक गाय मांस की मंडियों तक पहुंचे, जो व्यक्ति पहले पतला हो और बाद में मोटा हो जाये वह घी खाने से पतला हो जाता है
अर्धसत्य---घी ह्रदय के लिए हानिकारक है 
पूर्णसत्य---देशी गाय का घी हृदय के लिए अमृत है पंचगव्य में इसका स्थान है
अर्धसत्य---डेयरी उद्योग दुग्ध उद्योग है
पूर्णसत्य---डेयरी उद्योग मांस उद्योग है
यंहा बछड़ो और बैलों को, कमजोर और बीमार गायों को,
और दूध देना बंद करने पर स्वस्थ गायों को कत्लखानों में भेज दिया जाता है दूध डेयरी का गौण उत्पाद है
अर्धसत्य---आयोडाईज नमक से आयोडीन की कमी पूरी होती है
पूर्णसत्य---आयोडाईज नमक का कोई इतिहास नहीं है,ये पश्चिम का कंपनी षड्यंत्र है आयोडाईज नमक में
आयोडीन नहीं पोटेशियम आयोडेट होता है जो भोजन पकाने पर गर्म करते समय उड़ जाता है |
अर्धसत्य--- चाय से ताजगी आती है
पूर्णसत्य--- गरम पानी से आती है ताजगी, चाय तो केवल नशा(निकोटिन) है
अर्धसत्य---एलोपैथी स्वास्थ्य विज्ञानं है
पूर्णसत्य---एलोपैथी स्वास्थ्य विज्ञानं नहीं चिकित्सा विज्ञानं है
अर्धसत्य---एलोपैथी विज्ञानं ने बहुत तरक्की की है
पूर्णसत्य--- दवाई कंपनियों ने बहुत तरक्की की है एलोपैथी में मूल दवाइयां 480 -520 हैं जबकि बाज़ार में
1 ,००,००० से अधिक दवाइयां बिक रही है
अर्धसत्य--- बैक्टीरिया वायरस के कारण रोग होते हैं
पूर्णसत्य--- शरीर में बैक्टीरिया वायरस के लायक वातावरण तैयार होने पर रोग होते है

"संस्कार" शब्द का गूढ़ रहस्य




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भारतीय समाज की परम्पराएं दूसरे देशों से बिलकुल अलग हैं. जहाँ पश्चिमी सभ्यता भौतिकतावाद पर ज़ोर देता है, वहीँ भारत का हर कर्म और विचार आध्यात्मिक है. संस्कार एक संस्था है. इस संस्था का मूल उद्देश्य है कि मानव जीवन  को विकार रहित बनाते हुए आगे बढ़ें और आध्यात्म को प्राप्त कर सकें. आध्यात्म ही हमारी सामाजिक क्रियाओं का एकमात्र उद्देश्य है और आध्यात्म की पूर्ती संस्कार से ही होती है, जिससे मानव जीवन को शुद्ध (filter) करते हुए आगे बढ़ने का रास्ता मिल सके और आने वाला जीवन शुद्ध रहे. हम भारतीयों कि ज़िन्दगी संस्कारों में इस तरह से जकड़ी होती है कि वह जन्म से पहले और मौत के बाद तक आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होता रहता है और यह संस्कार भारत के सिवाय दुनिया के किसी भी देश में नहीं मिलता.

आइये जानें संस्कार शब्द का अर्थ :---

आख़िर ऐसा क्या है कि यह संस्कार शब्द सिर्फ भारत में ही पाया जाता है?  क्यूँ यह शब्द सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही है? क्यूँ दुनिया कि किसी भी भाषा में इसका अनुवाद नहीं मिलता? "संस्कार" का पर्यायवाची शब्द दुनिया की किसी भी भाषा में ढूंढना बहुत ही मुश्किल और जटिल है. दुनिया के किसी भी भाषा के एक शब्द के रूप में इसको अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता न ही संस्कार विश्व में भारत को छोड़ कर कहीं पाए जाते हैं. हम लोग संस्कारी होने न होने की बातें तो करते हैं लेकिन संस्कार क्या है यह नहीं जानते?

संस्कार में न केवल बाहरी कर्म-कांडों का ही स्थान है बल्कि आंतरिक विचार, धार्मिक भावना, नियम, आध्यात्मिक रीती-रिवाज़ जैसी बहुत सी बातों को एक ही साथ सिर्फ एक शब्द (संस्कार) में समाहित किया गया है. इसलिए संस्कार शब्द दूसरे देशों के आदर्शों से एकदम अलग मतलब रखता है. संस्कार शब्द को किसी भी विदेशी शब्द की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता.

अंग्रेज़ी में भी संस्कार को "SAMSKAR" (सम्स्कार) लिखा जाता है. किसी भी भाषा में संस्कार का कोई अनुवाद नहीं है. फ़िर भी यह लैटिन के 'सेरेमोनिया ' (CEREMONIA)  और अंग्रेज़ी के 'सेरेमोनी ' (CEREMONY) का पर्यायवाची लगता है. पर यह दोनों विदेशी शब्द सिर्फ़ ज़िन्दगी के बाहरी पक्षों को ही दिखाते हैं, आंतरिक पक्ष तो सिर्फ़ संस्कार शब्द में ही मिलेंगे. संस्कार शब्द की परिधि बहुत व्यापक है और शायद इसीलिए विश्व की किसी भी भाषा में "संस्कार" शब्द का कोई एक शब्द नहीं है.  और इसीलिए अंग्रेज़ी में भी "SAMSKAR" ही लिखा जाता है.
संस्कार शुद्धि की धार्मिक क्रिया है जो कि मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, और बौद्धिक विकास के लिए किये जाने वाले अनुष्ठानों से है जिससे कि मनुष्य समाज का पूरी तरह से विकसित सदस्य हो सके. वास्तव में यह संस्कृत का शब्द है जिसका मतलब है परिशोधन या शुद्ध करना. इसलिए जब यह कहा जाता है कि सोने का संस्कार हो रहा है तो उसका मतलब होता है कि सोने का सार (मूल) निकाल कर उसको शुद्ध किया जा रहा है. इसलिए मनुष्य को अपने जीवन की पूर्णता के लिए ज़रूरी है कि आगे बढ़ने से पहले अपने विचारों और विकारों को शुद्ध कर ले. जीवन की सम्पूर्णता को प्राप्त करने के लिए अपने को शुद्ध करने की इसी प्रक्रिया को संस्कार कहते हैं.